पंचायत चुनावों में आरक्षण घोटाले को हाईकोर्ट ने माना गंभीर
देहरादून। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट द्वारा चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाना इस बात का प्रमाण है कि उत्तराखंड में संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने नियम, कायदे, कानून और परंपराओं को ताक पर रखकर अपने मनमाफिक ढंग से सीटों का आरक्षण किया।
आर्य ने कहा कि विपक्ष पहले दिन से कह रहा था कि सरकार ने पंचायत चुनावों के लिए जरूरी आरक्षण नियमावली का नोटिफिकेशन समय पर जारी नहीं किया, जो संविधान और न्यायिक प्रक्रिया के विरुद्ध है। उन्होंने बताया कि सरकार ने स्वयं कोर्ट से 24 जून तक का समय मांगा था, फिर भी इससे पहले ही चुनाव कार्यक्रम घोषित कर दिया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब मामला न्यायालय में लंबित था तो किस आधार पर चुनावों की घोषणा कर दी गई?
पंचायती राज सचिव द्वारा दिए गए बयान पर भी उन्होंने कड़ा एतराज़ जताते हुए कहा कि सचिव का यह कहना कि शासनादेश की नोटिफिकेशन प्रक्रिया “गतिमान” है, सरासर भ्रामक है। आर्य ने कहा कि जब तक कोई अधिनियम या शासनादेश गजट में प्रकाशित नहीं हो जाता, तब तक वह प्रभावी नहीं होता और उसे लागू नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण में सरकार की मंशा और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। हाईकोर्ट के हस्तक्षेप ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आरक्षण प्रक्रिया में गंभीर खामियां थीं। उन्होंने मांग की कि सरकार इस संवैधानिक गड़बड़ी की जवाबदेही तय करे और प्रदेश की जनता को स्पष्ट जवाब दे कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया से खिलवाड़ क्यों किया गया।